रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी द्वारा आजम खान की सदस्यता खत्म करने और भाजपा विधायक विक्रम सैनी की अभी तक नहीं करने को लेकर लिखा गया पत्र मंगलवार को दिन भर चर्चा का विषय बना रहा। इस मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का जवाब आया है। महाना का कहना है कि वह इस बाबत चुनाव आयोग से जानकारी करेंगे कि वास्तव में क्या स्थिति है। महाना ने कहा कि उन्होंने आजम खां की सदस्यता नहीं खत्म की। उन्होंने केवल उनकी सीट रिक्त घोषित कर अधिसूचना जारी कराई थी।
असल में किसी भी आपराधिक मामले में दो साल की सजा होने पर प्रश्नगत विधायक की सदस्यता खत्म करने का निर्णय चुनाव आयोग करता है। विधानसभा अध्यक्ष का कार्य केवल सदस्यता खत्म होने की सूचना आयोग से मिलने पर उक्त सीट को रिक्त घोषित करने का है। विक्रम सैनी मुजफ्फरनगर जिले की खतौली सीट से विधायक चुने गए हैं। उन्हें भी एमपीएमएलए कोर्ट ने अक्तूबर में ही मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में दो साल की सजा सुनाई है।
जयंत चौधरी ने खत में क्या कहा
इससे पहले रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने मंगलवार को स्पीकर सतीश महाना को पत्र लिखा। जयंत ने पत्र में लिखा कि स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में हेट स्पीच के मामले में आपके कार्यालय द्वारा परित फैसला लेते हुए सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई। जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आप की सक्रियता की प्रशंसा की जानी चाहिए किंतु जब हम पूर्व में घटित ऐसे ही मामले में आपकी निष्क्रियता देखते हैं तो सवाल खड़ा होता है। क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति और व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है?
जयंत चौधरी ने आगे लिखा कि इस संदर्भ में आपका ध्यान मैं खतौली मुजफ्फरनगर से भाजपा विधायक विक्रम सैनी के प्रकरण में आकृष्ट कराना चाहूंगा, जिन्हें 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के लिए स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने 11 अक्टूबर 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत 2 साल की सजा सुनाई गई। उस प्रकरण में आप की ओर से आज तक कोई पहल नहीं की गई।